Saturday, January 13, 2024

टेनिया - लफुआ (मैथिली कथा )

वर्ष : उन्नैस सय छियासी

गाम : कोसी आ नेपाल के बगल वाला इलाका के कोनो गाम
भूमिका :
बीस वर्ष पूर्व, गामक दूटा दस-बारह वयस के छौरा चोरी के इल्जाम में मारि खाय से बचय लेल गाम से पहिने कहुना पटना पहुँचल आ फेर क्रमशः दिल्ली आ कलकत्ता के ट्रैन पकड़ि परा गेल छल। नाम छलय टोनी आ लफ्फू। प्रवासक दौरान जतय टोनी दिल्ली में पित्ती संग रहि के पंजाबी स्टाइल से माउस रान्हने सिखलक त लफ्फू माम संग बंगाली रसगुल्ला बनौने आ मिठका दही पउरे के कला कलकत्ते में सिखलक। कालांतर में जखन चोरी वला घटना के गौंवा सब बिसैर गेलय, दुनू दोस्त गाम आबि के, नबका बाजार में अगल बगल माउस-भात आ मिठाई के पैघ दोकान खोलने छल जे कि अखन वर्त्तमान काल में पूरा इलाका में प्रसिद्द रहय। टोनी से टोनिया आ टोनिया से टेनिया कहिया भेलय से गप बुझनाय भारी गप छय मुदा ओहि दरम्यान लफ्फू सेहो लफुआ कहाबय लागल छल ।बाजार भरि में की, पूरा परगन्ना में बसल आठ दस गाम में दुनू दोस्त के स्वादिष्ट खेनाइ आ मिठाई के खूब चर्चा रहय।
इ कथा के नायक नय त टेनिया अछि नय त लफुआ, मुदा कथा के अंत तक दुनू गोटा के विशेष भूमिका पाठकगण के जरूर बुझा जेतैन्हि ।
घटना क्रम - जाड़क भोर
जनवरी के महीना छल आ कुहेस लागल भोर। गामक लोग सब जाबे उठि के चाह पिबताह , ताबे भोरे भोर पूरा गाम में जेना हरबिर्रो मइच गेलय। गप्प ई पसरल रहय जे स्वर्गवासी मास्टर साहब के षोडसी बेटी कोनो विजातीय छौरा संगे उरहैर गेलय। आनन फानन में छोट छिन्ह भीड़ मास्टर साहब के दरबज्जा पर जमा भय गेल छलय। भीडक नेतृत्व बोल्गा बाबू करय छलाह। भीड़क मांग छलय जे मास्टर साहब के विधवा (बरहमपुर वाली) सबके सामने आबि इ उरल गपक स्पष्टीकरण दौथ आ बेटी के प्रस्तुत करौथ। बोल्गा बाबू गाम के सबसे मानल उचितवक्ता छथि। गप गढय में , गप पीबय में , गप सुनय में, गप सुँघय में , गप चिबबय में आ गप बजय में हुनकर परितर कियो नय कय सकैत छय। असली नाम राधाकांत मिश्र छैन्हि मुदा ओ दाढ़ी बुल्गानिन स्टाइल में रखय छैथि से सब लोग धीरे धीरे हुनका वोल्गा बाबू कहय लगलखिन। गाम भरि में ज्ञान बटय आ पंचायती के अलावा कोनो काज नय करैत छैथ। पूरा परगन्ना में हुनका समाजक आ देशक नियम कानून बुझय आ ओहि पर चलय वाला मनुख मानल जाइत छल। गाम में उठल कोनो झगड़ा झाँटी में पंचैती करय लेल या त हुनका हकार दय के बजाबल जाइत छलैन्हि नय त ओ अपने घोसिया जाइत छलाह।
घर के भीतर दरबज्जा खिड़की सब बन्न केने बरहमपुर वाली दुखी मोन डर आ आशंका संगे मूरि गोतने बैसल छलीह । हुनका जखने अपन बेटी के किरदानी पता चलनैन , ओ अपन एकटा हरबाहा के पहिने अपन नैहर दिस विदा कय देने छलखिन , अपन छोट भाय अमर बाबू के बजबय लेल। अमर बाबू खानदानी धनाढ्य छलाह जिनकर सैकड़ो बीघा खेती योग्य जमीन छलय आ बाद में पटना दिल्ली से लय के विदेश तक मखानक व्यापार में नीक नाम कमेने छलाह। गाड़ी घोडा के कोनो कमी नय छलैन्हि आ अपने बुलेट मोटरसाइकिल चलेनाय बड्ड पसिन्न छलैन्हि। दसेक साल पहिने बहिनोई मास्टर साहब के अकस्मात् निधन के बाद, अमर बाबू अपन जेठ विधवा बहिन लेल संकटमोचन छला आ बड़की दाय के कोनो समाद पर धरफड़ायल गाम अबैत छलाह। हाल फ़िलहाल में ओ अपन मैट्रिक पास भगिनी लेल कोनो योग्य वर के ताकय के सिलसिला में बहिनक सासुर बेसी आबैत जाइत रहैत छलाह।
दस बजैत-बजैत नय त भीड़ दरबज्जा पर सॅ टस मस भेलै आ नय बरहमपुर वाली बहरेली। बोल्गा बाबू के नेतृत्व में भीड़क आरोप प्रत्यारोप , मास्टर साहबक घर से भात बारय के प्रस्तावना, समाजक बदलैत स्वरुप , नबका जमाना के छौरा छौरी सबहक उछश्रृंखलता , बेटी के माथ पर बापक साया नय होय के दुष्प्रभाव , लड़की के नाना गामक नीच आचरणक कथा पिहानी सब चलैत रहलय। एक आध टा सज्जन बीच बीच में अपना डेरा जाय के अपन जरुरी काज सब कय के फेर से वापिस आबि जाइत छलाह गप्प भजय लेल, गप्प सुनय लेल। बोल्गा बाबू तीन घंटा धरि ठाढ़ रहलाह मुदा एक इंच हिलबो तक नय केलाह। समाज पर बड़का आफत जे आबि गेल रहय। हुनका सन आदमी जे आय किछु नय करतय त फेर के करतय ?
इ लियह। ग्यारह बजे अचानक से अमर बाबू अपना भगिनी के बुलेट पर बैसेने कतउ से अवतरित भेलाह। संग में एकटा दोसर मोटर साइकिल पर तीन टा और चेला चपाटी सेहो पहुँचलैह। दरबज्जा पर मोटर साइकिल लगा क, आ अपन भगिनी के घर के भीतर पठा के ओ भीड़ दिस मुखातिब होइत बोल्गा बाबू के नेता बुझैत बजलाह ,"प्रणाम बोल्गा बाबू। की हाल चाल यौ ? आय अहाँ सब एतेक गोटा से हमर बहिनक दरबज्जा पर किया अयलहुँ ?"
बोल्गा बाबू कनिये खिसियाइत बजलाह ,"अमर बाबू। अहाँ के गाम में इ कुकर्म सब होइत रहैत होयत। हमरा सब लेल इ कलंक अछि जे मास्टर साहब जेना महात्मा आदमी के कुमारि बेटी एकटा छौरा संगे भाइग जाय। छौड़ी बाहर बजबियौ आ पूछियौ जे कतय आ केकरा संगे गेल रहय ?"
अमर बाबू कनिये तमसाइत बजलाह ,"बोल्गा बाबू, अहाँ सम्मानित लोक छी आ बिना कोनो साक्ष्य के, बिना किछु बुझने, एहेन लांछन लगेनाइ अहाँ के शोभा नय दैत अछि।हम अपना संगे अपन भगिनी के कैल्हि राति एकटा नीक कथा लेल मातृक ल के गेल रही। आय ओकरा लड़का के बाप माय के देखबय बाद लय के अयलहुँ। "
दरअसल अमर बाबू गाम दिस आबैत काल रास्ता भैर सोचैत सोचैत, भगिनी के गायब होय के व्याख्या लेल, एकटा नब कहानी गढ़ने छलाह। भीड़ के अमर बाबू के कहानी पर कोनो विश्वास नय छलय। मुदा बोल्गा बाबू छोरि केकरो अतेक साहसो नय रहय जे अमर बाबू जेकाँ पैरुख वाला लोगक बात के काटि के हुनकर विरोध करितैह। भीड़ में चाइर टा त एहेन सज्जन छलाह जे पहिने कोनो न कोनो काज से अमर बाबू सँ कृपान्वित भेल छलाह। मुदा बोल्गा बाबू त बोल्गा बाबू छैथ। बिना एक एक टा चीज फरछइने कोना मानि लेताह ? कनि काल तक वाद प्रतिवादक दौर अहिना चलैत रहलय।
बारह बजैत बजैत अमर बाबू कनिये आवाज़ कड़ा केलन्हि "हयौ बोल्गा बाबू। अहाँ ओहिना बिना मतलबक बात के तिरैत छी। अहाँ के कोनो काज नय हैत मुदा हमरा अछि। अखन हमरा लागल अछि भूख। आय हम परतैर के आयल छलहुँ जे बाज़ार पर टेनिया दोकानक माउस भात खायब मुदा अहाँ एम्हर एहेन घाना पसारने छी जे पूरा मूड ख़राब भय गेल। एक त अहाँ कुतर्क में लागल छी दोसर जे एतबो नय बुझा रहल अछि जे सामने वाला भूखल पयासाल छय, दूर से आयल छय आ ओकर की हाल छय। "
अमर बाबू के आवाज़ के कड़कता सुनि बोल्गा बाबू कनिये सकदम में आबि गेलाह। भीड़ में सेहो समर्थन कम भेल जाइत छलैन्हि। किच्छो फुरेबे नय केलैन्हि। मोने मोन अपना संग आयल लोग सब पर तामस सेहो उठैत छलैन्ह जे बाकी के लोग किया बौक भेल छय। आ येहो डर होइत छलैन्ह जे अंत में कहीं सबटा दोष हुनके पर नय आबि जाय।
अमर बाबू व्यापारी आदमी छैथ। सामने वाला के स्थिति फट से बूझि जाइत छथिन्ह। ओ दोसर रास्ता पकड़लैन्ह । आवाज़ में कनिये मिठास आनैत घोषणा केलखिन,"हम जा रहल छी बजार पर खाय लेल। बोल्गा बाबू अहाँ एकटा काज करू। हमरा संगे बजार पर भोजन करय लेल चलू। भोजन सेहो हेतय आ गप्प सप , बहस सेहो हेतय। आ जे ई बात स्वीकार नय अछि त ठाढ़ रहू दरबज्जा पर जाबे हम भोजन कय के आबैत छी बजार सँ। "
बोल्गा बाबू असमंजस में छलाह। हुनकर मनःस्थिति बूझि अमर बाबू हाथ पकैड़ बोल्गा बाबू के अपना बुलेट पर पाछाँ बैसा क अपन दू टा चमचा संगे बजार दिस विदा भेलाह। माउस भातक लोभ में भीड़ सॅ चारि टा महानुभाव सेहो अपना घर से साइकिल लेने बजार दिस विदा भेलाह। कनि काल लेल सबहक स्मरण सॅ छौड़ी के भगनाय वाला गप्प उतरि गेल छलय।
टेनिया माउस भात रान्हय में उस्ताद छल। अमर बाबू ओकर रेगुलर ग्राहक छलखिन, खुश होय पर पांच टका ऊपर स दैत छलखिन। ओ हुनका देखैत देरी , सब गोटा लेल ठीक से टेबल कुर्सी लगौलक , बढ़िया से सैंत के थारी में भात आ बड़का कटोरी में मउसक वेवस्था कयलक। मउसक गंध सॅ सब गोटा के स्मरण शक्ति क्षीण भेल जाइत रहय। कनि काल चुप्पी संग खाइत रहय के बाद , खेनाय संग बोल्गा बाबू मुद्दा पर आबि गेलाह। हुनकर बुद्धि अमर बाबू के व्याख्या मानय लेल एकदम्मे तय्यार नय छलैन्ह। अमर बाबू घाम पसीना पोछैत , माउस भात खाइत , हुनकर सब बातक जवाब दैत रहलखिन।
खेनाय के बीच में अचानक एकटा नव आगंतुक आबि के अमर बाबू के नमस्कार केलखिन आ आगाँ बढ़ि गेलाह। बोल्गा बाबू के जेना आँखि आ कान ठाढ़ भय गेलैन्ह। पुछलखिन "अमर बाबू। अहाँ इ सज्जन के केना चिन्हैत छियय ? हमर एकटा जमीनक मुकदमा हिनका संगे चलि रहल अछि। "
अमर बाबू के एकटा और मौका अपना दिस अबैत देखेलैन्ह। ओ मौका के लपकैत बजलाह ,"त अहाँ हमरा कहियो त कहितौं। अहाँ अमर के अप्पन लोग बुझबे नय केलियय। " आ बजैत बजैत मुंह सेहो बना लेलैन्ह। फेर कनि रुकि के कहलखिन ,"अहाँ चिंता जुनि करू। अहाँ अप्पन इ काज भेले टा बूझियौ। आब अहाँ के ई मुद्दा जल्दिये फरिया जायत। "
बोल्गा बाबू के मोन प्रसन्न भेलैन्ह। मुकदमा पांच साल से बेसी टाइम सँ चलैत छलैन्ह। अमर बाबू के गप्प सुनय के बाद अचानक मोन हल्लुक लागय लगलैन्ह आ खेनाय में सुवाद और बढ़ि गेल छलैन्ह। आब हुनका अमर बाबू के कहानी पर धीरे धीरे बेसी विश्वास हुबय लागल छलैन्ह। एक एक कौर के बाद , हुनकर बहसक आ बततिर्री क्षमता क्षीण भेल जाइत छलैन्ह। बाकी लोग त अहुना मूरी गोतने खाइते छलाह। जीह पर ढनमनाइत मउसक सुवाद, जीहक स्वर उत्पति वला प्रकृति के गरदनिया देने जाइत रहय।
अमर बाबू के जिद्द पर टेनिया बोल्गा बाबू के बाटी में एकबेर अउर गरमा गरम चुसता परसि देलकय।बाटी सॅ लय के चुसता चुसैत-चुसैत जे कनि मनि संदेह बोल्गा बाबू के मोन में रैह गेल छलैन्ह, सेहो शनैः शनैः बिला गेल रहय। भरि इच्छा भोजनक बाद जखन ढकार लैत सब गोटा टेनिया के होटल से बहरेलाह त अमर बाबू निश्चिन्त छलाह जे आब समस्या टैल गेल अछि मुदा ओ पक्का खेलाड़ी आदमी छैथ। समस्या के समूल नष्ट केनाय जरुरी बुझैत छथि। पानक दोकान दिस बढ़ैत सब गोटा के कहलखिन "अहाँ सब एना किया धड़फड़ायल छी ? टेनिया दोकान के माउस भात खाय के बाद जे लफुआ अहिठामक मिठका दही आ रसगुल्ला जे नय खेलक से की खेलक। " मोन त सबके होइते रहय। उपरे ऊपर हुनका सब के कनि मनि मना करय के बाद, अमर बाबू जिद्द कय के सब गोटा के लफुआक दोकान लय गेलाह आ भरि इच्छा दही रसगुल्ला के भक्षण करबयलखिन। बोल्गा बाबू संग गामक इ पांच छह गोटा के त आय जेना भोज भातक लाटरी लागि गेल छलैन्ह। मिष्ठान भक्षणक बाद बिना पान के कोना होइतय ? से फेर झुण्ड पान दोकान दिस विदा भेल। पान खाइत-खाइत एक स्वर में सब गोटा भोरक घटना के सन्दर्भ में अमर बाबू के व्याख्यान पर सहमति देखाबय लगलाह आ गामक जे लोग सब ओतय नय छलाह हुनका सबके अहि उत्पन्न भ्रम लेल दोषारोपित करय लगलाह। एक सज्जन त उत्साहित होइत अमर बाबू के भगिनी के बड्ड सुशील, सुन्दर आ पढाई चन्सगर धिया बतबइत ओकरा लेल दू टा नीक कथा सेहो बता देलखिन।
 
साँझ होइत-होइत गाम में पसरल भोरक बात बजार में पसरल टेनिया के मउसक आ लफुआ के दही रसगुल्ला के सुवाद में डूबि के पूर्णतः रूप सँ बिला गेल रहय। अंत में जखन सब गोटा उदर संतुष्टि आ पान भक्षण केर बाद थै थै भय गेलाह , सब के नमस्कार पाती करय के उपरांत अमर बाबू अपना बहिन लेल एकटा सन्देश लिख बोल्गा बाबू के हाथ में देलखिन आ मोटर साइकिल स्टार्ट कय अपना गाम दिस निश्चिन्त भय के विदा भेलाह। गामक लोग पैदल आ साइकिल पर बैस अपना अपना घर दिस रस्ता पकड़लैन्ह।
एम्हर टेनिया-लफुआ के इ नय बुझल छलय जे ओकरा दुनू के कारण गाम पर आय एकटा बड़का फसाद होइत होइत रुकि गेल रहय ।

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