Friday, October 20, 2017

कोवला (मैथिली )
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बड्ड जोर बरखा 
आ 
बरखा सॅ बचैत 
बहुत रास लोग !

भयाक्रांत छैथ 
कि चुबै न लागय 
सैकड़ों साल पहिने 
छाड़ल फूसक छत !

कतऊ कतऊ सॅ 
चुबैयो लागल अइछ छत 
टप टप .. टप टप 
आ टप टप चुबैत पानि के नीचाँ 
रखैत छैथि लोग 
बासन ताकि ताकि कय 
घर में पड़ल !

डर पैसल छैनि 
जे 
भीज नय  जाऊ आय हम सब 
आ देखार नय भ जाय 
सब कियो अनचोक्के !

आंखि मूनि कय करैत छाथि 
भगवान सॅ निहोरा 
आ ढाकि भरि कोवला 
जे थमि जाय इ बरखा 
आ निकैलि जाय टटका  रौद;
ताकि छारि दी फेर से छत 
नवका पुआर सॅ !

------ श्याम प्रकाश झा (बरसों पुरानी रचना )