Monday, October 12, 2020

कोबला (मैथिली)


बड्ड जोर बरखा 
आ 
बरखासँ बचैत 
घरमे घुसल 
बहुत रास लोक !

भयाक्रांत छथि 
जे चूब' नै लागय 
सालो साल पहिने 
छाड़ल फूसक छत !

कतौ कतौसँ
चुबैयो लागल अछि छत 
टप टप .. टप टप 
आ टप टप चुबैत पानिक नीचाँ 
राखैत छथि लोक 
घरमे पड़ल
बासन ताकि ताकि क' !

डर पैसल छनि 
जे 
भीज नै जाउ आइ हम सब 
आ देखार नै भ' जाइ 
सब कियो अनचोक्के !

आँखि मूनि क' करैत छथि 
भगवानसँ निहोरा 
आ ढाकि भरि कोबला 
जे थमि जाइ ई बरखा 
आ निकलि जाइ टटका  रौद;
जे छारि दी फेरसँ छत 
नवका पुआरसँ !

Sunday, August 30, 2020

चौरचनक भार

भोरे से मेघोन धएने छै। कखन छह बजलै से बुझेबे नय केलय आ गृहणी उठैत देरी धड़फड़ा क' पहिने भनसाघर दिस परेली। काल्हि साँझमे पांच टा छोटका मटकुरीमे ओ दही पोरने छलखिन, वैह देखय लेल एहेन उद्विग्न भेल छलीह। हुनकर आय चौरचनक व्रत छैन्हि। दही नीक जकाँ पौरा गेल छलय  से मोन आब निश्चिन्त छैन्हि। चूल्हा पजारि क' चाह लेल पानि चढ़ा देलखिन। ताबे गिरहथ सेहो उठि गेलाह आ भोरुका चाह लेल मुंह तकैत बैसल छलाह । चाहक चुस्की संग गृहणी पूछलखिन 

"ऐं यौ। समधियानासँ भार एतै की नै?"

"हम की बूझियै? हमरा कोनो फ़ोन पर गप्प भेल हुनका सबसँ?" गिरहथ केँ लगैये निन्न ठीकसँ नै भेलन्हि। उखरल जवाब देलखिन। 

"भार पठेबाक तँ चाही। अहिनो कोनो नवाड़ तँ नय छैथि समैध। उमरि तँ पूरा गिरने छैथ, से वेवहार बुझबाक चाही । नबका कुटुंबक  ठाम जे चौरचनक भार नै पठेथिन्ह, अपने दियाद-टोल में कथा पिहानी शुरू भय जेतैन्हि।" गृहणी जेना मोन क' बुझबैत मधिम स्वर में बजलीह। 

गिरहथ जेना  कान बात नै द' क' कोनो और सोचमे डूबल  छलाह। गृहणी केँ हुनकर आदति खूब बुझल छलैन्हि से बेसी बातक रगड़ा केने बिना काज करय लेल विदा भेलीह। 

चाहक कप धोबाक लेल लेने जाइत-जाइत गृहणी कनिये आशंकित जरूर छलीह। खाली अहि बेर ओ चौरचनक कोनो तय्यारी नै केने छलीह, नै तँ सब बेर ओ चंगेरा, कोनियामे लगबय लेल टिकरी, पिरुकिया, अनरसा सब पहिने बना  लैत छलखिन आ पावनि दिन मोन निश्चिन्त रहैत छलैन्हि। अहि बेर बेटाक बिआहक बाद पहिल चौरचन रहलाक कारणेँ हुनका विश्वास छलैन्हि जे समधियानासँ पैघ भार जरूर आओत। आ से ओहि उमेदमे खाली दही आ पांच टा फलक वेवस्था केने रहि गेलीह। 

दिनमे गिरहथ नहा धोआ क' खाय लेल बैसलाह। थारीमे साँठ लगबैक बाद गृहणी लोटा भरि पानि लेने अयलीह, फेर धीरेसँ गप्प चालि देलखिन। 

"आ जे भार नै एतै तखनो कोनो बात नै। दही तँ हम पोरने छीहे आ फलक सेहो वेवस्था ऐछे। ओहिसँ भ' जेतै अहि बेरक पूजा। शुद्ध भोग लगतैन्हि भगवानकेँ।" अपना मोनकेँ बुझेलन्हि। 

"अहाँ बेकार हड़बड़ायल छी। समधि बुझनुक लोक छैथ। भार जरूर पठेने हेताह। नहियो कहियौ तँ कमसँ कम चारि घंटाक रस्ता छै से टाइम लगैत हेतैन्हि। साँझो तक भार एबे करत।" 

"एक बेर फ़ोन पर अहाँ पूछि लितिये तँ..... " गृहणी संकोचमे धीरेसँ कहलखिन। 

आँखि तरेरने गिरहत उदवेगमे कहलखिन "अहाँ हमरा शांतिसँ खेनाय खाय देब की नै? "

गृहणीकेँ ऐसँ बेसी साहस नै छलैन्हि। चुप्पे रहि गेलीह। एक मोन भेलैन्हि जे एकबेर पुतौहकेँ फोन कय क' अपने पूछि ली मुदा फेर अशोकर्य सेहो होइत छलैन्हि। अपना मोनकेँ ढाढस दैत ओ साँझक ओरियानमे लागि गेलीह। 

सांझ खसय लागल छलै। भारक कोनो आहट तक नै छलै। मेघ अखनो लागल छलै आ गुम्म भेल छलै। सरधुआ कौआ तक आइ एक्को बेर अंगनामे आबि मुंह नै चिआरने छलै। गृहणीकेँ मोन झूस भेल जा रहल छलै।  पीठारक तय्यारी करैत करैत हुनकर तामस फूटि पड़लै। 

"हम कहने रही जे अहि गामक लोग वेवहारिक नै होइत अछि तँ अहाँ सुनलिये कहाँ ? ततेक ओगतायल छलहुँ जे बेटाकेँ कतहु बिआहि देलियै। अहाँकेँ एना लगैत छल जे बेटा लेल आर कोनो कथा नै आएत। कुटमैती एना कतौ धड़फड़ा क' होइत छै ?"

कनिये क्षोभ तँ गिरहथकेँ सेहो होइत रहैन्हि से गृहणीकेँ बिना जवाब देने चुप्पे रहि गेलाह। चुप्पेचाप दुनू प्राणी ओरियानमे बाझि गेलाह। आय पहिल बेर चौरचनक पूजामे खाली फल हाथमे ल' क' चानक दर्शन करबाक मोन बना लेने छलाह। 

अँगनामे अरिपन दैत काल  गृहणीकेँ लागलैन्हि जे दरबज्जा पर कोनो रिक्शा घंटी द ' रहल छै। जाबे किछु बुझिथिन्ह की गिरहथक आवाज़ दलान परसँ अंगनामे पसरि गेलै। 

"सुनै छी यै? देखियौ के अयलाह?"

गृहणीक आँखिमे चमक आबि गेलै। धड़फड़ायल दालान दिस विदा भेली। दरबज्जा पर रिक्सासँ उतरि क' सुपुत्रक छोटका सार भारक सामान रिक्साबलाक मदतिसँ उतारैमे व्यस्त देखि क' मोन सनतनत भेलन्हि। मुंहसँ निकलि गेलन्हि "बौआ अतेक देरी किया भेल जे मनुहारि साँझमे बहिनक सासुर पहुँचलहुँ। घर पर सब कुशल मंगल नें ?"

बच्चा घूमि क' पहिने गोर लगलकै आ फेर घाम पोछैत कहलकै "अहाँ सबहक आशीर्वाद सँ सब गोटे ठीक छी। विदा तँ सवेरे भेल रहियै, मुदा रस्तामे बसक टायर पंचर भेलै आ फेर रिक्सापर आबैत काल घरक रस्ता हेरा गेल छल।"

"से रस्ता हरेबे ने करब जे एतेक दिन पर दर्शन देबै पाहुन। चलू आब जल्दीसँ हाथ पएर धोय लिय' आ आंगनेमे आबि जाउ ताबे हम पूजाक ओरियान करै छी। विधक बेर भेल जाइत छै।" मोटरीक साइज देखि गृहणीक मोन हर्षित होइत छलन्हि। बोलीमे ख़ुशीक समावेश भेल छलैन्हि। 

चंगेरा, कोनिया में भार में आयल टिकरी, पुरुकिया, गाजा सजबैत काल गृहणी पतिदेवकेँ कहलखिन "बड्ड सनेस पठा देलखिन समधि। आ बच्चा अतेक सम्हारि क' आनलन्हि  जे एकोटा पुरुकिया टूटल नै छै।"

पतिदेव चौल्ह केलखिन "अहाँ तँ कहै छलियै जे समधियाना वेवहारिक नै भेटल।"

"समधि तँ सत्ते ओहिने छथि। नटुआ जेना एम्हर उम्हर टंडेली मारि छुछका दुलार करैसँ कियो वेवहारिक नै होइत अछि। मुदा समधिन के नैहरा बड्ड नीक गाम छै ने। सबटा बियोंत समधिनक कएल हेतै।"

आकाशमे अचानक मेघ कतौ परा गेल छलै। हवाक एक झोंकसँ गुम्मी सेहो कम भ' गेल रहै। पाहुन हाथ पएर धोय क' आंगनेमे आबि गेल छलाह। सब गोटा हाथमे फल ल' क ' चानक दर्शन केलैन्हि आ पावनिक विधि सब शुरू भेलै। चानक दर्शन आब स्पष्ट छलै।









































Saturday, August 1, 2020

छोटका मामा

छोटका मामा के याद में किछु मैथिली में लिखलहुँ जे अहाँ सब के सोझाँ अछि। पैघ भ्राता Om Prakash Jha के वर्तनी आ व्याकरण केर समीक्षा आ सुधारि करै लेल धन्यवाद। 

हमर छोटका मामा हमरे तुरिया छलाह, कनिये वयस में पैघ, मुदा हमरा पर दावी हरदम गार्जियन वाला छलन्हि। नेनपनमे जखन हरेक वर्ष हम सब गर्मी छुट्टीमे नानी गाम जाइत रही, पहुँचैत देरी ओ हमरा सबकेँ अपन क्लचमे ल लइत छलाह आ पूरा गाम टोले टोल घुमाबैत छलाह। हमरो सबकेँ हुनका संगे खेत- पथार , कलम -गाछी, बांध -पोखैर रन्ने बन्ने बौआयमे नीक लागैत छल। एक आध बेर नानी गाम वा अगल बगलक गाममे होइत कोनो बिआहमे या तँ बरियाती पक्षसँ या सरियाती पक्षसँ गणितक कोनो मुश्किल सवालक उत्तर दय लेल हमरा आगाँ क दैत छलाह आ सही जवाब दैत देरी छाती चाकर कय क' सबकेँ कहैत छलखिन जे ई बच्चा हमर भागिन छैथ। तोरा सब कियो एकरासँ मुकाबला नै कय सकैत छैं । 

एकबेर जखन छुट्टी ख़तम भेलाक बाद हम सब गामसँ शहर लेल विदा भेलहुँ, ओ हमरा सब संगे शहर जाय लेल देह पटैक पटैक क' कानय लगलाह। हमरो मोन होइत छल जे मामा संगे आबि जयतथि तँ मजा आबि जयतय। सबसँ छोट बालक हेबाक कारण ओ नानाक बहुत दुलरुआ पुत्र सेहो छलाह। कनी काल कन्नारोहट, मान मन्नौवल हेबाक बाद नाना जी हुनका गछि लेलखिन जे ओ मामाकेँ हमरा ओहिठाम शहर पठा देथिन आ मामा हमरे सब संगे मैट्रिक तक पढाई हमर पिताजीक अनुशासनमे करताह। हमरा सभकेँ नानाजीक ऐ बात पर विश्वास कम होइत छल मुदा इहो सोचलहुँ जे अगर छोटका मामा हमरा सब संगे सदिखन रहय लगलाह तँ बड्ड नीक रहितै। 

अंततः प्रतीक्षा ख़तम भेल आ दू महीनाक भीतर एक दिन मामा नानाजी संगे अपन पूरा सामान लेने आबि गेलाह। रविक दिन छल। हमारा सबसँ भेंट हेबाक बाद मामा बड्ड खुशी आ जोशमे छलाह। हमहुँ सब हुनका संगे खूब हंसी-मजाक, गप्पशप कयलहुँ। तय भेलै जे दोसर दिन हुनकर नामांकन हमरे स्कूल आ हमरे क्लास में हेतै आ तेसर दिन नानाजी हुनका हमरा सब लग छोड़ि क' गाम विदा भय जेताह। साँझ धरि मामा हमरा सबहक पूरा मोहल्ला आ हमर सबहक मोहल्ला वाला दोस्त महिम सबसँ अभ्यस्त भय गेलाह। रातिमे फेर खूब गपशप, हंसी मजाक भेलै। मामा खेलड़ुआ प्रवृतिक छथि, ई गप सबकेँ पहिनेसँ बुझले रहैक। पहिल दिन हेबाक कारण हमर पिताजी सेहो बच्चा सभकेँ कनी ढिलाई देने छलखिन आ पढाई लिखाई के कोनो गप्प नय भेलय। 

दोसर दिन भोरे चारि बजे सब दिनक दिनचर्याक हिसाबसँ हम सब भाय बहिन पोथी लय क' पढ़ै लेल बैसि गेलहुँ। पिताजीक आदेश पर मामाकेँ सेहो एकटा अलग किताब आ कॉपी द' देलियैक। अचानक बुझायल जे मामाकेँ ई सब भोरे भोर उठि क' पढ़ै वाला भाँज किछु नीक नै लगलनि। ओ कहुना मुरझायल अवस्थामे किताब संग बैसल रहलाह। खैर दिनमे इसकूल खुजैत देरी हमर पिताजी आ नानाजी मामा संगे इसकूल पहुँचलाह आ हुनकर नामांकन हमरे कक्षामे करबा देलखिन। प्राचार्य महोदय कहलखिन जे बच्चाकेँ काल्हिसँ इसकूल पठा देबै। हम तखन इसकूलेमे रही आ एक नजर प्राचार्य महोदयक कमरा पर छल। उत्सुक छलहुँ जे तुरंते मामाक नामांकन भ' जाय आ ओ क्लासमे आबि जेताह तँ हुनका अपन संगी सबसँ भेंट करा देबै। साँझमे इसकूलक बाद घर पर बच्चा सब बेरहट खेलकै आ ठीक घड़ीसँ मिला क' डेढ़ घंटा खेलेलाक बाद डेरा पर वापिस आबैक बाद लालटेनक रौशनीमे अपन अपन पोथी पेन्सिल ल' कय पढाई शुरू कय देलकै। रातिमे खाना होईत होईत मामाक ताल मात्रा कनिये अलग बुझायल। सोचलहुँ जे शायद हुनका नानी आ गामक मित्र परिजनक याद आबैत हेतैन्हि। निश्चिन्त छलहुँ जे एक दू दिनमे ठीक भय जेताह आ एहिठाम रमि जेताह। 

तेसर दिन फेर भोरे चारि बजे सब दिनक दिनचर्याक हिसाबसँ हम सब भाय बहिन पोथी लय क' पढय लेल बैसि गेलहुँ। मामाजी सेहो ओंघाईत नबका पोथी लय क' बैसि गेलाह। आय प्रोग्रामक हिसाबसँ नानाजी नाश्ताक बाद गाम घुरय वाला छलाह। से माय हमर जल्दी जल्दी भनसा घरमे नाश्ताक तैयारी करय लागलीह। हम सब पढ़ैत छलहुँ, मामा सेहो अनमने ढंगसँ बैसल छलाह। बादमे सब बच्चा एक संगे नहा क' आ नाश्ता कय क' इसकूल दिस दस बजे विदा होय वाला छल। हम उत्साहित छलहुँ जे आई मामा संग क्लास जायब आ संगे एक्के बेंच पर बैसब। नानाजी तैयार भय क' विदा होय वाला छलाह तँ अचानक हुनका किछु मोन पड़लनि। ओ हमर पिताजीकेँ कहलखिन जे बस पकड़यसँ पहिने ओहिठाम जे बाजार छै, जँ अहाँ हमरा संगे चली तँ ओतयसँ मामा लेल किछु कपड़ा लत्ता कीन देबै आ फेर हम गाम दिस जायब आ बच्चा इसकूल दिस अहाँ संगे चलि जेताह। पिताजी आनन फाननमे हुनका संगे जाय लेल तैयार भेलाह। मामा सेहो दुनू गोटे संग पैदल विदा भेलाह। रास्तामे पैदल चलैत अचानक मामा अंगा खोलि क' हाथमे ल' लेलैन्हि। नानाजीक हुनका पर ध्यान गेलैन्हि। ओ मलारसँ कहलखिन "बच्चा अंगा पहीरि लिय' ने यौ। एना नंगटे देह रोड पर चलनाइ नीक गप नै। "
मामा कहलखिन , "हमरा गर्मी लगैत अछि, बड्ड घाम होइत अछि, हम अहिना गंजीमे ठीक छी। गाममे हम कहियो अंगा पहीरि नै रहैत छी। हम अहुठाम अहिना रहब। "
नाना बुझेलखिन, "बौआ ओ गाम छै आ ई शहर। अहिठाम अहाँ बिना अंगा पहीरने रोड पर नै जा सकैत छी। लोग सब हँसय लागत। से अहाँ केकरो देखैसँ पहिने फटाकसँ अंगा पहीरि लिय'।"
मामा अपन बापक दुलारू पूत छलाह। एना थोड़े मानि लेताह। कहलखिन , "कक्का गाममे अंगा पहीरबाक जरुरति नै होइत छै, मुदा शहरमे होईत छै। सैह कहैत छी ने अहाँ ?"
नाना कनिये दमसेलखिन "हाँ बाउ। जे अहाँकेँ अंगा पहीरैमे संकोच तँ अहाँ शहरमे रहैक बदले गामे चलू। "
मामा तँ बुझियौ जेना यैह बातक इंतजारमे छलाह। अपन पिताश्रीक मुँहक बात लौकि लेलन्हि। तुरते छुटलाह "कक्का तखन गामे चलू ने यौ। "
रोड पर धीरे धीरे चलैत दुनू व्यस्क अचानकसँ स्तब्ध भय क' रुकि गेलाह। ओकर बाद दस मिनट तक मामाकेँ बुझबैक कोशिश होईत रहल मुदा कोनो असर नै। 

एम्हर हम सब भैय्यारी तैयार भय क' इसकूल लेल निकलैत रही कि देखलहुँ तीनू गोटा वापिस आबि रहल छैथ। आबैत देरी नानाजी माँकेँ कहलखिन जे बच्चाक सामान निकालि क' बान्हि दियौ। बच्चा अब गामेमे रहताह आ ओहिठाम पढ़ताह। लेह, हमरा सभक मोन मसुआ गेल। कारण नै बुझल भेल नै पूछैक साहस छल। बसक टाइम भेल जाइत रहै से माय हमर तुरंत मामाजीक सब सामान बान्हि क' दय देलखिन। हमरो सबकेँ इसकूलक देरी होईत छल से एम्हर हम सब इसकूल दिस विदा भेलहुँ आ ओम्हर नानाजी आ मामा बस पकड़ै लेल विदा भेलाह। बादमे पिताजी जखन मायकेँ पूरा वृतांत सुनबै छलखिन तँ बड्ड आश्चर्य भेल जे अंगा नै पहीरै लेल कियो एना जिद करैत छै कि। 

कालांतरमे जखन कओलेजमे छलहुँ तँ एकबेर मामासँ दिल्लीमे भेंट भेल। ओ तखन ओतहि रहि क' पढैत छलाह। एम्हर ओम्हरक बात ख़तम भेलाक बाद, बात बातमे हमरा ओ घटना यादि आयल आ हम मामाकेँ अंगा नै पहीरबाक जिदक कारण पूछलियै। ओ मुस्कियेला आ कहलनि जे "धुर.... बूड़ि नै तन। हम अंगा नै पहीरै लेल थोड़े भंगठल छलहुँ। से तँ मात्र एकटा बहन्ना छल हौ। दरसअल पहिलुक दिनसँ जे हम तोरा डेरा पर पहुँचलहुँ, अजबे ताल मात्रा देखलियै। भोरसँ ल' क' साँझ धरि कोनो ने कोनो दिनचर्याक हिसाबसँ पढाई लिखाईक कार्यक्रम चलैत छल। बाप तोहर अलगे अनुशासन पसंद आदमी। हम सोचलहुँ जे हम तँ उन्मुक्त चित्त, अहि वेवस्थामे, अहि तौर तरीका संग नै रहि सकब। डर छल जे सही कारण कक्काकेँ कहबै तँ ओ पक्का हमरा मारि क' धुनि देताह। कारण जे हुनका मोन नै रहै जे हम दूर ज़ा क' पढ़ी, मुदा हमरे जिद पर ओ हमरा एतेक दूरसँ आनने छलाह। सच कहिय' तँ हमरा तोरा ठामक तौर तरीका पसिन्न नै आयल छल से हम निकलि लेलहुँ। रुकि जयतहुँ तँ मोन अहुरिया काटि मरि जयतै।" कहि क' चिर परिचित अंदाज़मे ओ हँसय लागलाह। 

समय संग हम सब अपन अपन जिनगीमे बाझि गेलहुँ। मामा संग कहियो कभार फ़ोन पर गपशप होईत छल। पछिला साल अहि समयमे अचानक जेठ भ्राता फोन केलन्हि आ दुखद समाचार देलन्हि जे मामा आब अहि दुनियामे नै रहलाह। खूब स्वस्थ छलाह, मुदा अचानक हार्ट अटैकक बाद हस्पतालमे भर्ती भेलाह मुदा कनिये कालमे आनन फाननमे देह तियागि क' चलि गेलाह। मोन भारी भ' गेल।बेर बेर एक्के टा गप्प दिमागमे आबैत छल जे एना केना अहि अवस्थामे चलि गेलाह। आ ऐ बेर तँ एहेन गेलाह जे बादमे पूछियो नै सकलहुँ जे मामा एना अनचोक्कामे किया धड़फड़ा क' विदा भ' गेलियै? कि फेर अहाँकेँ अहि दुनियाक तौर तरीका नै सोहायल ?