Monday, October 12, 2020

कोबला (मैथिली)


बड्ड जोर बरखा 
आ 
बरखासँ बचैत 
घरमे घुसल 
बहुत रास लोक !

भयाक्रांत छथि 
जे चूब' नै लागय 
सालो साल पहिने 
छाड़ल फूसक छत !

कतौ कतौसँ
चुबैयो लागल अछि छत 
टप टप .. टप टप 
आ टप टप चुबैत पानिक नीचाँ 
राखैत छथि लोक 
घरमे पड़ल
बासन ताकि ताकि क' !

डर पैसल छनि 
जे 
भीज नै जाउ आइ हम सब 
आ देखार नै भ' जाइ 
सब कियो अनचोक्के !

आँखि मूनि क' करैत छथि 
भगवानसँ निहोरा 
आ ढाकि भरि कोबला 
जे थमि जाइ ई बरखा 
आ निकलि जाइ टटका  रौद;
जे छारि दी फेरसँ छत 
नवका पुआरसँ !