Tuesday, February 18, 2014

बाबा और मुनिया

आँख बोझिल नींद से
बूढ़े बाबा जींद के,
बोलते हैं सो जाओ मुनिया
सपने आयेंगे सिंध से !

सपने में एक पेड़ होगा
और दो छोटी गोरैया,
चुग रही होंगी वो दाना
एक बेटी, एक मैय्या !

वो तुम्हे आवाज़ देंगी
पास आकर के कहेंगी ,
तुम बड़ी भोली सी मुनिया
हम तेरे घर में रहेंगी !









मुनिया - क्या कहेंगी वो ?
बाबा - वो कहेंगी :

"तुम हमें दाना खिलाना
तुम हमें दुलार देना ,
आ जो जाये बन्दर उछल कर
एक डंडा मार देना !"

"हम तुम्हे गाना सुनाये
हम तुम्हे उड़ना सिखाएं,
टूटते इस समाज में
हम तुम्हे जुड़ना सिखाएं !"





ऊंघती मुनिया - ऐसा क्या?
बाबा - हाँ ऐसा और  फिर


खगों के संसर्ग में तुम
चहक कर बातें सुनोगी ,
एक-एक तिनके को पकड़कर
पंछियों सी आदत बुनोगी !




फिर उनसे पंख उधार लेना
कदम बस सम्भाल लेना ,
बंधनो को झटक कर
तन और मन को उछाल देना !

मुनिया सो गयी नींद से
बूढ़े बाबा जींद के ,
सर पर उसके हाथ फेरे
नयन मुखारबिंद पे !