Sunday, August 30, 2020

चौरचनक भार

भोरे से मेघोन धएने छै। कखन छह बजलै से बुझेबे नय केलय आ गृहणी उठैत देरी धड़फड़ा क' पहिने भनसाघर दिस परेली। काल्हि साँझमे पांच टा छोटका मटकुरीमे ओ दही पोरने छलखिन, वैह देखय लेल एहेन उद्विग्न भेल छलीह। हुनकर आय चौरचनक व्रत छैन्हि। दही नीक जकाँ पौरा गेल छलय  से मोन आब निश्चिन्त छैन्हि। चूल्हा पजारि क' चाह लेल पानि चढ़ा देलखिन। ताबे गिरहथ सेहो उठि गेलाह आ भोरुका चाह लेल मुंह तकैत बैसल छलाह । चाहक चुस्की संग गृहणी पूछलखिन 

"ऐं यौ। समधियानासँ भार एतै की नै?"

"हम की बूझियै? हमरा कोनो फ़ोन पर गप्प भेल हुनका सबसँ?" गिरहथ केँ लगैये निन्न ठीकसँ नै भेलन्हि। उखरल जवाब देलखिन। 

"भार पठेबाक तँ चाही। अहिनो कोनो नवाड़ तँ नय छैथि समैध। उमरि तँ पूरा गिरने छैथ, से वेवहार बुझबाक चाही । नबका कुटुंबक  ठाम जे चौरचनक भार नै पठेथिन्ह, अपने दियाद-टोल में कथा पिहानी शुरू भय जेतैन्हि।" गृहणी जेना मोन क' बुझबैत मधिम स्वर में बजलीह। 

गिरहथ जेना  कान बात नै द' क' कोनो और सोचमे डूबल  छलाह। गृहणी केँ हुनकर आदति खूब बुझल छलैन्हि से बेसी बातक रगड़ा केने बिना काज करय लेल विदा भेलीह। 

चाहक कप धोबाक लेल लेने जाइत-जाइत गृहणी कनिये आशंकित जरूर छलीह। खाली अहि बेर ओ चौरचनक कोनो तय्यारी नै केने छलीह, नै तँ सब बेर ओ चंगेरा, कोनियामे लगबय लेल टिकरी, पिरुकिया, अनरसा सब पहिने बना  लैत छलखिन आ पावनि दिन मोन निश्चिन्त रहैत छलैन्हि। अहि बेर बेटाक बिआहक बाद पहिल चौरचन रहलाक कारणेँ हुनका विश्वास छलैन्हि जे समधियानासँ पैघ भार जरूर आओत। आ से ओहि उमेदमे खाली दही आ पांच टा फलक वेवस्था केने रहि गेलीह। 

दिनमे गिरहथ नहा धोआ क' खाय लेल बैसलाह। थारीमे साँठ लगबैक बाद गृहणी लोटा भरि पानि लेने अयलीह, फेर धीरेसँ गप्प चालि देलखिन। 

"आ जे भार नै एतै तखनो कोनो बात नै। दही तँ हम पोरने छीहे आ फलक सेहो वेवस्था ऐछे। ओहिसँ भ' जेतै अहि बेरक पूजा। शुद्ध भोग लगतैन्हि भगवानकेँ।" अपना मोनकेँ बुझेलन्हि। 

"अहाँ बेकार हड़बड़ायल छी। समधि बुझनुक लोक छैथ। भार जरूर पठेने हेताह। नहियो कहियौ तँ कमसँ कम चारि घंटाक रस्ता छै से टाइम लगैत हेतैन्हि। साँझो तक भार एबे करत।" 

"एक बेर फ़ोन पर अहाँ पूछि लितिये तँ..... " गृहणी संकोचमे धीरेसँ कहलखिन। 

आँखि तरेरने गिरहत उदवेगमे कहलखिन "अहाँ हमरा शांतिसँ खेनाय खाय देब की नै? "

गृहणीकेँ ऐसँ बेसी साहस नै छलैन्हि। चुप्पे रहि गेलीह। एक मोन भेलैन्हि जे एकबेर पुतौहकेँ फोन कय क' अपने पूछि ली मुदा फेर अशोकर्य सेहो होइत छलैन्हि। अपना मोनकेँ ढाढस दैत ओ साँझक ओरियानमे लागि गेलीह। 

सांझ खसय लागल छलै। भारक कोनो आहट तक नै छलै। मेघ अखनो लागल छलै आ गुम्म भेल छलै। सरधुआ कौआ तक आइ एक्को बेर अंगनामे आबि मुंह नै चिआरने छलै। गृहणीकेँ मोन झूस भेल जा रहल छलै।  पीठारक तय्यारी करैत करैत हुनकर तामस फूटि पड़लै। 

"हम कहने रही जे अहि गामक लोग वेवहारिक नै होइत अछि तँ अहाँ सुनलिये कहाँ ? ततेक ओगतायल छलहुँ जे बेटाकेँ कतहु बिआहि देलियै। अहाँकेँ एना लगैत छल जे बेटा लेल आर कोनो कथा नै आएत। कुटमैती एना कतौ धड़फड़ा क' होइत छै ?"

कनिये क्षोभ तँ गिरहथकेँ सेहो होइत रहैन्हि से गृहणीकेँ बिना जवाब देने चुप्पे रहि गेलाह। चुप्पेचाप दुनू प्राणी ओरियानमे बाझि गेलाह। आय पहिल बेर चौरचनक पूजामे खाली फल हाथमे ल' क' चानक दर्शन करबाक मोन बना लेने छलाह। 

अँगनामे अरिपन दैत काल  गृहणीकेँ लागलैन्हि जे दरबज्जा पर कोनो रिक्शा घंटी द ' रहल छै। जाबे किछु बुझिथिन्ह की गिरहथक आवाज़ दलान परसँ अंगनामे पसरि गेलै। 

"सुनै छी यै? देखियौ के अयलाह?"

गृहणीक आँखिमे चमक आबि गेलै। धड़फड़ायल दालान दिस विदा भेली। दरबज्जा पर रिक्सासँ उतरि क' सुपुत्रक छोटका सार भारक सामान रिक्साबलाक मदतिसँ उतारैमे व्यस्त देखि क' मोन सनतनत भेलन्हि। मुंहसँ निकलि गेलन्हि "बौआ अतेक देरी किया भेल जे मनुहारि साँझमे बहिनक सासुर पहुँचलहुँ। घर पर सब कुशल मंगल नें ?"

बच्चा घूमि क' पहिने गोर लगलकै आ फेर घाम पोछैत कहलकै "अहाँ सबहक आशीर्वाद सँ सब गोटे ठीक छी। विदा तँ सवेरे भेल रहियै, मुदा रस्तामे बसक टायर पंचर भेलै आ फेर रिक्सापर आबैत काल घरक रस्ता हेरा गेल छल।"

"से रस्ता हरेबे ने करब जे एतेक दिन पर दर्शन देबै पाहुन। चलू आब जल्दीसँ हाथ पएर धोय लिय' आ आंगनेमे आबि जाउ ताबे हम पूजाक ओरियान करै छी। विधक बेर भेल जाइत छै।" मोटरीक साइज देखि गृहणीक मोन हर्षित होइत छलन्हि। बोलीमे ख़ुशीक समावेश भेल छलैन्हि। 

चंगेरा, कोनिया में भार में आयल टिकरी, पुरुकिया, गाजा सजबैत काल गृहणी पतिदेवकेँ कहलखिन "बड्ड सनेस पठा देलखिन समधि। आ बच्चा अतेक सम्हारि क' आनलन्हि  जे एकोटा पुरुकिया टूटल नै छै।"

पतिदेव चौल्ह केलखिन "अहाँ तँ कहै छलियै जे समधियाना वेवहारिक नै भेटल।"

"समधि तँ सत्ते ओहिने छथि। नटुआ जेना एम्हर उम्हर टंडेली मारि छुछका दुलार करैसँ कियो वेवहारिक नै होइत अछि। मुदा समधिन के नैहरा बड्ड नीक गाम छै ने। सबटा बियोंत समधिनक कएल हेतै।"

आकाशमे अचानक मेघ कतौ परा गेल छलै। हवाक एक झोंकसँ गुम्मी सेहो कम भ' गेल रहै। पाहुन हाथ पएर धोय क' आंगनेमे आबि गेल छलाह। सब गोटा हाथमे फल ल' क ' चानक दर्शन केलैन्हि आ पावनिक विधि सब शुरू भेलै। चानक दर्शन आब स्पष्ट छलै।









































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