कोवला (मैथिली )
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बड्ड जोर बरखा
आ
बरखा सॅ बचैत
बहुत रास लोग !
भयाक्रांत छैथ
कि चुबै न लागय
सैकड़ों साल पहिने
छाड़ल फूसक छत !
कतऊ कतऊ सॅ
चुबैयो लागल अइछ छत
टप टप .. टप टप
आ टप टप चुबैत पानि के नीचाँ
रखैत छैथि लोग
बासन ताकि ताकि कय
घर में पड़ल !
डर पैसल छैनि
जे
भीज नय जाऊ आय हम सब
आ देखार नय भ जाय
सब कियो अनचोक्के !
आंखि मूनि कय करैत छाथि
भगवान सॅ निहोरा
आ ढाकि भरि कोवला
जे थमि जाय इ बरखा
आ निकैलि जाय टटका रौद;
ताकि छारि दी फेर से छत
नवका पुआर सॅ !
------ श्याम प्रकाश झा (बरसों पुरानी रचना )
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