बड्ड जोर बरखा
आ
बरखासँ बचैत
घरमे घुसल
बहुत रास लोक !
भयाक्रांत छथि
जे चूब' नै लागय
सालो साल पहिने
छाड़ल फूसक छत !
कतौ कतौसँ
चुबैयो लागल अछि छत
टप टप .. टप टप
आ टप टप चुबैत पानिक नीचाँ
राखैत छथि लोक
घरमे पड़ल
बासन ताकि ताकि क' !
डर पैसल छनि
जे
भीज नै जाउ आइ हम सब
आ देखार नै भ' जाइ
सब कियो अनचोक्के !
आँखि मूनि क' करैत छथि
भगवानसँ निहोरा
आ ढाकि भरि कोबला
जे थमि जाइ ई बरखा
आ निकलि जाइ टटका रौद;
जे छारि दी फेरसँ छत
नवका पुआरसँ !